Sulagti Khabar

उच्च न्यायालय के आदेश का उल्लघन करने वालों को बचा रही पुलिस 

Police protecting those violating High Court orders 

  • मामला निम्बाजी की खोह में बने पोहामिल की जमीन का 

ग्वालियर। देश में न्यायालय की दुहाई देते हुए सरकारी तंत्र को सुना जा सकता है। लेकिन जब भ्रष्टाचार की लकीर इस आदेश के इर्द-गिर्द खींच दी जाती है, तो यही आदेश रद्दी  की टोकरी से ज्यादा अहमियत नहीं रखता है। कुछ ऐसे ही मामले आए दिन सुर्खियों में बने रहते हैं, जिनमें न्यायालय के आदेश की सरेआम धज्जियां उड़ाते हुए लोगों पर कार्रवाई के नाम पर सिर्फ लीपा-पोती की जाती है। कुछ ऐसा ही नजारा जनकगंज थाने में बीते रोज नजर आया। जहां उच्च न्यायालय से एक जमीनी विवाद में स्थगन होने के बावजूद वहां पर रखे माल को निकालकर ले जाने वालों पर पुलिस ने कार्रवाई नहीं की। 

महानगर में काका बाबा की बगिया निम्बाजी की खोह लक्ष्मीगंज में स्थित पोहामिल की जमीन को लेकर मामला न्यायालय में लंबित है और इसमें उच्च न्यायालय खण्डपीठ ग्वालियर से 8 अप्रेल 2022 को स्थगन आदेश दिया गया है। जिसका निराकरण अभी तक नहीं हुआ है और इस आदेश के बाद इस पर यथास्थिति बनाए रखी जाना था। लेकिन दिनांक 12 अक्टूबर 2025 को एक  वाहन क्रमांक एमपी07 जीबी 0468 में भरकर पोहा मिल में लगी मशीनों को भरवाकर कुछ लोग ले जा रहे थे और इसकी जानकारी मिलते ही रघुराज पुत्र स्व रामनाथ सिंह द्वारा उनको मना किया तो उसको मारने की धमकी दी। जिसके बाद रघुराज ने अपने फोन से 112 को फोन कर बुला लिया और पुलिस वहां मौजूद लोगों को वाहन समेत थाने ले गई। 

नहीं दर्ज किया मामला 

इस मामले में पीडित रघुराज ने पुलिस थाने जाकर उन लोगों के खिलाफ मामला दर्ज करने की बात कही, लेकिन वहां मौजूद थाना प्रभारी ने उनकी बात नहीं सुनी। 

सामान रखवा दिया फैक्ट्री में 

पुलिस का रवैया न्यायालय का आदेश तोड़ने वालों के साथ उस समय नजर आया। जब वाहन में रखे माल को वापस उसी फैक्ट्री में रखवा दिया। 

कई आवेदन दिए 

इस मामले में रघुराज पुत्र स्व श्री रामनाथ ने बताया कि उनके द्वारा कई आवेदन इस मामले में दिए गए हैं। जिसके बावजूद अभी तक कोई कार्रवाई इनके खिलाफ पुलिस ने नहीं की है। 

आदेश का पालन कराना पुलिस का काम

इस मामले में अधिवक्ताओं का कहना है कि न्यायालय के आदेश का कही भी उल्लंघन होता है तो पुलिस एवं प्रशासन का काम है कि उस आदेश का पालन सही तरीके से कराया जावे। वहीं अगर कोई न्यायालय के आदेश की अवहेलना करता है तो पुलिस उसके खिलाफ धारा 188 सहित अन्य धाराओं में मामला दर्ज कर सकती है।

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