Community organizer Pawan Namdev kept flouting the rules in running Deendayal kitchen in Bhopal
- दस्तावेज संलग्न न करने के बावजूद संस्थाओं को दिए गए अंक
भोपाल। गरीबों की थाली के रुप में प्रचारित की गई दीनदयाल रसोई योजना में किस तरह भ्रष्टाचार की थाली सजाई गई, इसका उदाहरण इसकी हुई जांच में पता चलता है। जिसमें अधिकारियों ने चहेती संस्थाओं को काम दिलाने के लिए उनको उस विषय में अंक दे दिए, जिनके दस्तावेज तक उसमें संलग्न नहीं किए गए थे।
नगर निगम भोपाल के द्वारा दीनदयाल रसोई के तृतीय चरण में संचालन के लिए निविदा जारी की गई थी, जिसमें सामुदायिक संगठक पवन नामदेव ने गंभीर अनियमितताओं का एक लंबा कार्य किया था, जिसका कारण अपनी चहेती संस्थाओं घनश्याम सेवा समिति एवं दयावती एजूकेशन को काम दिलाना था। जिसके लिए जिले या संभाग में अन्यत्र काम करने पर २०-२० अंक दिए जाने का प्रावधान की स्थिति का फायदा उठाकर इन संस्थाओं को जिले में अन्यत्र काम करने के दस्तावेज लगाए बिना ही अंक दिए गए थे।
प्रमाण पत्रों पर आपत्ति
इस मामले में जांच दल द्वारा इन संस्थाओं को जारी प्रमाण पत्रों पर आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा है कि सामुदायिक संगठक पवन नामदेव ने स्वयं के हस्ताक्षर एवं सील मुद्रण कर संस्थाओं को प्रमाण पत्र जारी किए गए थे। जिसमें अनुमोदन विषयक टीप तक अंकित नहीं थी।
अनुमोदन भी नहीं लिया
इस मामले में जांच समिति ने आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा है कि इस मामले में अंक प्रदान करते हुए गणना पत्रक पर समिति का अनुमोदन तक प्राप्त नहीं किया गया था।
जांच में समिति की स्थिति प्रतिकूल
जांच समिति ने बिंदु क्रमांक ८ में उल्लेख करते हुए लिखा है कि संस्था के पूर्व प्रदर्शन को ध्यान में रखते हुए नस्ती पर संस्था के पक्ष में अनुकूल बताकर काम किया गया है, जबकि संस्थाओं के संबंध में जांच प्रतिवेदन में प्रतिकूल स्थिति पाई गई है।
स्वयं के हस्ताक्षर से किया अनुबंध
घोटाले को छुपाने के लिए सामुदायिक संगठन पवन नामदेव ने घनश्याम सेवा समिति और दयावती एजूकेशन समिति को दिए गए कार्यादेश के विरुद्ध संस्थाओं के साथ अनुबंध स्वयं के हस्ताक्षर से किया गया है जो कि जांच में वैधानिक नहीं माना गया है।
आयुक्त का निर्देश भी हवा में
इस मामले में आयुक्त नगर निगम भोपाल द्वारा संस्थाओं को कार्य देने के लिए अंतिम चयन हेतु सक्षम अनुमति के लिए समिति के समक्ष रखने के निर्देश दिया था, लेकिन इस आदेश को हवा मेंं उड़ाते हुए सामुदायिक संगठन पवन नामदेव ने समिति के समक्ष न रखते हुए कलेक्टर को गुमराह करते हुए उनसे ही अनुमोदन प्राप्त कर लिया।







